भरपूर नकदी वाला पीरामल समूह कर्ज में फंसी कंपनियों बिनानी सीमेंट और इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स को खरीदने की दौड़ में शामिल हो गया है। इन दोनों कंपनियों को कर्ज देने वाले बैंकों ने समूह से इनके लिए बोली लगाने को कहा। कर्ज नहीं चुका पाने के कारण इन दोनों कपंनियों का मामला राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) के पास है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि पीरामल समूह ने कर्ज में फंसी परिसंपत्तियों के लिए अलग से कोष बना रखा है। इसी कोष के जरिये समूह बोली लगाएगा। उसने ऋणदाताओं से दोनों कंपनियों की जानकारी मांगी है। इस साल जुलाई में पंचाट ने गैर सूचीबद्ध बिनानी सीमेंट के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली थी। बिनानी ने बैंक ऑफ बड़ौदा का 97 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाया था।
बिनानी सीमेंट पर मार्च 2016 तक देसी ऋणदाताओं के 3,700 करोड़ रुपये बकाया थे। दुनिया भर में कंपनी के पास सालाना 112.5 लाख टन और देश में 62.5 लाख टन सीमेंट उत्पादन की क्षमता है। दूसरी सीमेंट कंपनियों ने भी इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। वित्त वर्ष 2016 में कंपनी की शुद्ध बिक्री 2,038 करोड़ रुपये थी और उसे 375 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। उधर इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स पर 10,288 करोड़ रुपये का कर्ज है।
रिजर्व बैंक ने कर्ज चुकाने में लगातार चूक करने वाली जो 12 कंपनियां पहचानी थीं, उसमें इसका भी नाम था। श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर, टाटा स्टील, मेस्को स्टील, एडलवाइस, अवलोकितेश्वर वालिन्व लिमिटेड और इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग्स इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुकी हैं। ऋणदाताओं ने पीरामल से बोली के अगले चरण में किसी कंपनी के साथ जुडऩे को कहा है। पिछले वित्त वर्ष में कंपनी की बिक्री 2,541 करोड़ रुपये रही, जबकि उसका घाटा 1,464 करोड़ रुपये था।
ऋणदाताओं का कहना है कि बिनानी सीमेंट और इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों को दिया गया 60 फीसदी कर्ज माफ कर दिया जाए ताकि इनके लिए बोली लगाना अच्छा सौदा लगे। पीरामल के अलावा जेएसडब्ल्यू समूह, वेदांत और टाटा जैसे समूह भी बुनियादी और स्टील क्षेत्र की कर्ज में फंसी संपत्तियों को खरीदने के लिए आक्रामक बोली लगा रहे हैं। ऋणदाताओं के मुताबिक पीरामल ने कर्ज में फंसी संपत्तियों के लिए बैन कैपिटल क्रेडिट के साथ मिलकर एक कोष बनाया है और उसकी अगले कुछ वर्षों के दौरान 1 अरब डॉलर निवेश करने की योजना है।
पीरामल और बेन की योजना इस कोष के लिए अपने संसाधनों से कुछ राशि जुटाने की योजना है जबकि बाकी राशि वैश्विक और घरेलू बाजारों के दूसरे संस्थागत निवेशकों से जुटाई जाएगी। एक सूत्र ने कहा कि अधिग्रहण की संभावना के लिए पीरामल के फंड का जोर बैंकों से कर्ज में फंसी बड़ी संपत्तियों और वित्तीय संस्थाओं का अधिग्रहण करने पर है।