गन कैरिज फैक्टरी जबलपुर में निर्मित धनुष तोप अपने अंतिम ट्रायल में सफल रही। सफल परीक्षण के बाद लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली पहली भारतीय तोप को भारतीय सेना में शामिल करने का रास्ता भी साफ हो गया है।गन कैरिज फैक्टरी जबलपुर के वरिष्ठ महाप्रबंधक एस. के. सिंह ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया, धनुष ऑर्टिलरी गन अपने अंतिम ट्रायल में सफल रही। उन्होंने कहा, पोखरण में 2 जून से 7 जून के बीच हुए यूजर ट्रायल में 155 एमएम 45 केलीबर की 6 धनुष ऑर्टिलरी गन द्वारा सफलतापूर्वक फायरिंग की गई।अंतिम चरण के परीक्षण में पहले पांच दिनों में (2 जून से 6 जून तक) प्रत्येक गन से 50 फायर किए गए। इस प्रकार कुल 300 फायर किए गए। अंतिम दिन (7 जून को) सभी 6 तोपों से एक साथ एक लक्ष्य पर 101 फायर किए गए।इसी बीच, इस फैक्टरी के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गन कैरिज फैक्टरी जबलपुर में निर्मित 155 एमएम की एक धनुष तोप की लागत करीब 14.50 करोड़ रुपये है, जबकि इस तोप के एक गोले की कीमत करीब एक लाख रुपये है। उन्होंने कहा कि इसकी मारक क्षमता विदेश से आयातित उस बोफोर्स तोप से 11 किलोमीटर ज्यादा है, जिसे सेना ने कारगिल युद्ध में उपयोग किया था।अधिकारी ने कहा कि धनुष तोप का शीतकालीन परीक्षण सिक्किम व लेह में, ग्रीष्मकालीन ट्रायल पीएक्सई बालेश्वर, बवीना रेंज झांसी व पोखरण में सफलतापूर्वक किया गया।