वैज्ञानिकों ने एक ऐसी किफायती सामग्री विकसित की है जो पानी को तोड़कर हाइड्रोजन ईंधन बनाने में मदद कर सकती है। पानी के अवयवों हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करने के लिए अधिकतर प्रणालियों में दो उत्प्रेरकों की जरूरत होती है। आयरन और डिनिकल फॉस्फाइड से बना नया उत्प्ररेक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध निकेल फोम पर दोनों कार्य करता है। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन और कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इसमें पानी से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा को नाटकीय रूप से कम करने की क्षमता होती है। कम ऊर्जा जरूरत का मतलब यह हुआ कि हाइड्रोजन उत्पादन कम लागत पर किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के प्रोफेसर झिफेंग रेन ने कहा, इससे हम औद्योगिकरण के करीब आए हैं। हाइड्रोजन को कई औद्योगिक उपयोगों में स्वच्छ ऊर्जा के वांछनीय स्रोत के रूप में जाना जाता है। हालांकि, बड़ी मात्रा में गैस उत्पादन के लिए प्रायोगिक, किफायती और पर्यावरण अनुकूल तरीका खोजना एक चुनौती रहा है, खासकर पानी को इसके अवयवों में तोड़कर ईंधन बनान। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट में रेन ने कहा कि क्योंकि इसे तरल रूप में बदला जा सकता है। ऐसे में ऊर्जा के कुछ अन्य स्वरूपों की तुलना में इसका अधिक आसानी से भंडारण किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के सहायक प्रोफेसर शुओ चेन ने कहा, हमारे द्वारा विकसित सामग्री धरती पर प्रचुर में मात्रा में उपलब्ध तत्वों पर आधारित है। प्लैटिनम समूह की सामग्रियों के सापेक्ष तुलनात्मक प्रदर्शन करती है।