नई दिल्ली । खुले बाजारों में प्याज की बढ़ती कीमत से चिंतित केंद्र सरकार ने राज्यों सरकारों से इस पर स्टॉक लिमिट लगाने को कहा है। जिससे इसकी जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर रोक लग सके और अनावश्यक रूप से इसकी कीमत में बढ़ोतरी को रोका जा सके।
सूत्रों के अनुसार सरकार प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लागू करके इसके निर्यात पर पाबंदी लगाने पर भी विचार कर रही है ताकि घरेलू बाजार में इसकी सुलभता बढ़ाई जा सके। राष्ट्रीय राजधानी में खुदरा में प्याज की कीमत बढ़कर 38 रुपये प्रति किलो तक हो गई है जबकि पिछले साल इसका मूल्य करीब 22 रुपये प्रति किलो था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मुबंई में प्याज 34 रुपये, कोलकाता में 40 रुपये और चेन्नई में 29 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है।
केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने ट्वीट करके जानकारी दी कि प्याज के बढ़ते मूल्य पर अंकुश लगाने के लिए राज्यों को स्टॉक लिमिट लगाने की सलाह दी गई है। थोक व फुटकर व्यापारियों की ओर से इसके स्टॉक पर लिमिट लगने से मूल्य वृद्धि थामने में मदद मिलेगी। इस संबंध में राज्य सरकारों को एक पत्र भी भेजा गया है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत राज्यों को प्याज के व्यापारियों पर स्टॉक लिमिट लगाने का अधिकार है।
पिछले कुछ हफ्तों में प्याज की कीमत तेजी से बढ़ी है। स्टॉक में कमी आने खरीफ सीजन में उत्पादन कम रहने की संभावना से तेजी को बल मिला। इस साल खरीफ सीजन में प्याज का बुवाई क्षेत्र 20-30 फीसद कम रहा है। हाल में पासवान ने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर प्याज पर 450 डॉलर प्रति टन एमईपी लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने कारोबारियों को प्याज के निर्यात पर दिये जा रहे इंसेंटिव वापस लेने को भी कहा है। निर्यात पर अंकुश लगने से घरेलू बाजार में सप्लाई सुधरेगी और मूल्य में कमी आएगी।
सचिवों की समिति में भी इस मसले पर विचार हुआ है। समिति ने भी एमईपी लगाने की वकालत की है। जल्दी ही इस बारे में निर्णय हो सकता है। सरकार ने 2015 में प्याज पर एमईपी हटा दिया था। एमईपी लागू होने के बाद निर्यात इससे कम मूल्य पर निर्यात नहीं कर सकेंगे। पिछले वित्त वर्ष में भारत से 34.94 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया।