
जम्मू-कश्मीर के बारामूला में हुए आतंकी हमले में जहानाबाद जिले के रतनी प्रखंड के अईरा गांव के सीआरपीएफ जवान लवकुश शर्मा शहीद हो गए।
जम्मू-कश्मीर के बारामूला के करीरी इलाके में नावां मोड़ पर बने नाके पर तैनात लवकुश और उनके एक अन्य साथी रोहतास जिले के खुर्शीद खान पर सोमवार की सुबह आतंकियों ने ताबड़तोड़ हमला बोल दिया। हमले में लवकुश और खुर्दीश खान दोनो शहीद हो गए।
भारत माता के वीर सपूत की शहादत की खबर सोमवार की सुबह उनके परिजनों को मिली। जवान के शहीद होने की सूचना फैलते ही कोरोना महामारी के बावजूद बड़ी संख्या में लोग शहीद के पैतृक घर पर पहुंच गए। पिता सुदर्शन शर्मा, मां प्रमिला देवी और पत्नी अनिता देवी गहरे सदमे में हैं। शहीद जवान के दो बच्चे हैं सात साल का बेटा सूरज और तीन साल की बेटी अन्नया को घर में अचानक लोगों की भीड़ का जुटना तथा मां-दादी और दादा को देखकर हैरत में थे। अईरा गांव के लोगों को होनहार बेटे के खोने का गम भी था।
वर्ष 2014 में ज्वाईन किया था सीआरपीएफ
एक मात्र संतान लवकुश के पिता साधारण किसान हैं। ग्रामीण महादेव शर्मा कहते हैं कि विवाह के बाद हठा-कट्ठा नौजवान लवकुश को सेना में जाने का जुनून सवार हुआ और वह इसके लिए तैयारी करने लगा। वर्ष 2014 में सीआरपीएफ का हिस्सा बनने में उसे सफलता हासिल हुई। सीआरपीएफ के 119 बटालियन के जवान लवकुश को खतरों से खेलने और चुनौतियों से जूझने से शुरू से ही शौक था। ग्रामीण और पैक्स अध्यक्ष धनंजय शर्मा कहते हैं कि छुट्टी पर आने के बाद वह गांव के लड़कों को सेना में बहाली के लिए ट्रेनिंग दिया करता था। उन्हें कम समय लेकर दौड़ पूरा करने का टिप्स देता था। अर्द्धसैनिक बल में सेवा के दौरान के अनुभवों का भी जिक्र करता था।
चार माह पहले आया था अपने गांव
लवकुश करीब चार माह पहले अपने गांव आया था। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए उसने जहानाबाद के राजाबाजार मोहल्ले में डेरा ले रखा था। रोते-बिलखते शहीद के पिता सुदर्शन शर्मा कहते हैं कि दो दिन पहले ही उसने फोन किया था और अपने नए कांटैक्ट नंबर की जानकारी दी थी।