जिन लेफ्ट पार्टियों के सहारे महागठबंधन की मजबूती का दावा किया जा रहा था अब उसमें अड़चन आती दिख रही है. लेफ्ट पार्टियों के इकट्ठे महागठबंधन में शामिल होने की बात पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. दरअसल भाकपा माले ने महागठबंधन से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 53 सीटों पर जीत का दावा ठोका था उसे राजद ने नामंजूर कर दिया है. इस बात की जानकारी खुद भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पटना में दी थी. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 2015 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर सीट शेयरिंग का मसला हल करना चाहता है जो भाकपा माले को मंजूर नहीं है.
भाकपा माले के महासचिव ने कहा कि सीट शेयरिंग 2020 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन नहीं होता है तो उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लेगी. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि हमारी बस यही मांग है कि लोकसभा चुनाव में हुए तालमेल को आधार माना जाए, तो हमें भी गठबंधन में रहना मंजूर होगा. वरना, हम भी अकेले चुनाव लड़ेंगे. जहां तक वामदलों के आपसी सहयोग की बात है, हम तीनों साथ में चुनाव लड़ेंगे.
जाहिर है भाकपा माले के रुख से साफ है कि गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर मामला सुलझने का नाम नही ले रहा है. एक ओर आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का मामला भी नहीं सुलझ रहा है. अब तो कांग्रेस के बड़े नेता भी कह रहे हैं कि पार्टी 200 सीटों को टारगेट कर तैयारी कर रही है. वहीं, उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी भी महागठबंधन में खुद को ठगे महसूस कर रहे हैं.
हालांकि शुक्रवार देर रात तेजस्वी यादव और उपेंद्र कुशवाहा की बैठक पूर्व मुख्यमंत्री व राजद नेता राबड़ी देवी के आवास पर हुई थी. सीट शेयरिंग को लेकर दोनों नेताओं के बीच डेढ़ घंटे तक बैठक हुई. इस दौरानरालोसपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश यादव भी मौजूद रहे, लेकिन क्या डील फाइनल हो गई, इसको लेकर कोई जवाब नहीं आया है.
बहरहाल महागठबंधन में शामिल दल अब भी दावा कर रहे हैं कि सबकुछ ठीक हो जाएगा.आरजेडी और कांग्रेस जहां सबकुछ जल्द ठीक हो जाने का दावा कर रही है वहीं, जेडीयू ने कहा है कि लालू प्रसाद अपने सहयोगियों को लेकर कभी इमानदार नहीं रहे. अंतिम समय मे सीट बंटवारा करते हैं और मनमुताबिक सीट देते हैं.