कोरोना वायरस की पहचान करने में आरटीपीसीआर मशीन से लेकर जांच किट तक फेल हो जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर अब छाती का सिटी स्कैन कराकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। विभिन्न क्लीनिकों से लेकर सरकारी अस्पतालों में करीब 10 प्रतिशत कोरोना के लक्षण वाले मरीजों का इलाज सिटी स्कैन की जांच रिपोर्ट के आधार पर हो रहा है।
मायागंज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजकमल चौधरी ने बताया कि यहां अबतक सात मरीज ऐसे मिल चुके हैं, जो आरटीपीसीआर व रैपिड किट जांच में कोरोना निगेटिव थे, लेकिन सिटी स्कैन जांच में उनके फेफड़े में धब्बा मिला। इसी आधार पर उन्हें कोरोना संक्रमित मानकर इलाज किया गया। बाद में एंटीबॉडी जांच में उनके शरीर में एंटीबाडी का बनना भी पाया गया।
केस नंबर 1
सबौर निवासी 26 साल के युवक को गले में दर्द व सांस लेने में तकलीफ हुई। उसमें कोरोना के सभी लक्षण मिल रहे थे। घरवाले उसका सदर अस्पताल व तिलकामांझी चौक स्थित जांच केंद्र पर रैपिड एंटिजन किट और मायागंज अस्पताल में आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया। सभी जांच में वह कोरोना निगेटिव निकला। बावजूद उसे होम आइसोलेशन में रखते हुए डॉक्टरों ने उसका उसका कोविड प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया। तब जाकर 10 दिन बाद वह स्वस्थ हुआ।