बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की जीत और भाजपा की सीटों में बढ़ोतरी के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का भी मनोबल बढ़ा है। बिहार में RSS को बड़ी संभावना दिख रही है। इसको लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत शुक्रवार को ही पटना पहुंचे हैं। पटना सिटी स्थित केशव सरस्वती विद्या मंदिर कैंपस दो दिवसीय बैठक शुरू हो गई है। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत, सुनील भैया जी जोशी, दत्तात्रेय होशबोले, सुरेश सोनी, मुकुंद जी, मनमोहन वैद्य जैसे बड़े पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। इस बैठक में संघ के करीब 40 पदाधिकारी ही शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा इस बैठक में किसी को भी इंट्री नहीं मिली है।
विपक्ष साध रहा निशाना
बिहार में संघ की शक्ति बढ़ाने के लिए रविवार को भी स्वयंसेवकों को मोहन भागवत मंत्र देंगे। क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक में कई योजनाएं सामने आएंगी और उनका कार्य रूप भी RSS-भाजपा के लोगों को समझाया जाएगा। उधर, विपक्ष इस बैठक को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है। राजद का कहना है कि रात के अंधेरे में सीएम नीतीश कुमार मोहन भागवत से मुलाकात करेंगे और सरकार चलाने का टिप्स लेंगे।
क्यों हो रही है पटना में बैठक
आरएसएस साल में दो बार औपचारिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर बैठकें करती हैं। इनमें से एक दीपावली बैठक होती है। दीपावली के बाद आयोजित होनेवाली इस बैठक में पूरे देश से कार्यकर्ता हिस्सा लेते हैं। अखिल भारतीय स्तर पर होनेवाली इस बैठक में प्रांत संघचालक, कार्यवाह और प्रचारक के ऊपर वाले पदों के कार्यकर्ता हिस्सा लेते हैं। इस साल यह बैठक अखिल भारतीय स्तर पर उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में होनी थी। लेकिन कोरोना की वजह से पूरे देश के कार्यकर्ताओं को एक जगह जुटाने की बजाय संघ ने 11 क्षेत्रों की बैठक अलग-अलग जगहों पर करने का फैसला लिया। इसी के तहत उत्तर बिहार-दक्षिण बिहार और झारखंड के प्रचारक स्तरीय कार्यकर्ताओं की बैठक पटना में आयोजित की है। इसमें करीब 40 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, जो दो दिनों तक संघ प्रमुख को बिहार में संघ द्वारा किये जा रहे कार्यों की रिपोर्ट देंगे।
बिहार में RSS की सक्रियता बढ़ने की यह भी एक वजह
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और इसके घटक दलों को मुसलमान वोटरों ने पूरी तरह से नकार दिया है। इसकी वजह भाजपा के साथ जदयू, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और वीआईपी का गठबंधन है। बिहार के मुसलमानों ने पूरी तरह से एनडीए को नकार दिया है। जदयू ने कुछ मुसलमान उम्मीदवारों को उतारा भी तो उनकी हार हुई, ऐसे में आरएसएस एक्टिव होकर अपनी जमीन तैयार करने में जुट गया है। इससे साफ पता चलता है कि संघ का प्रभाव धीरे-धीरे बिहार पर बढ़ता जा रहा है। बिहार के सीमांचल इलाके से ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं राजद के आठ मुसलमान विधायक विधानसभा पहुंचे हैं। इस बार 19 मुसलमान विधायक बने हैं, लेकिन इसमें एक भी एनडीए का नहीं है।इस बार जदयू ने 11 मुसलमान नेताओं को चुनाव लड़ाया था, लेकिन एक ने भी जीत हासिल नहीं की। यहां तक की नीतीश सरकार में एक मात्र मुस्लिम मंत्री रहे खुर्शीद फिरोज को भी हार का मुंह देखना पड़ा था ।