केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। किसान कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग से टस से मस नहीं हो रहे हैं। इन सबके बीच इस आंदोलन पर राजनीतिक प्रायोजित होने के भी आरोप लगते रहे हैं और कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन की आड़ में टुकड़े-टुकड़े गैंग अपना एजेंडा चला रहे हैं। ट्वीटर पर इसे लेकर जोरदार बहस भी देखने को मिल रही है और दोनों पक्ष यानि आंदोलन समर्थक और विरोधी अपने-अपने तर्क रख रहे हैं। गुरुवार को किसान आंदोलन में एक कंट्रोवर्सी देखने को मिली जब यहां गंभीर आरोपों में जेल में बंद लोगों की रिहाई की मांग वाले पोस्टर देखने को मिले।
वायरल हुई तस्वीरें
किसान आंदोलन के दौरान एक तस्वीर और वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें बड़ी संख्या में बड़े प्रदर्शनकारी अपने हाथों में दिल्ली दंगों के आरोपियों में शामिल उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफ जैसे आरोपियों के पोस्टर अपने हाथ में लेकर उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) ने अपने मंच पर एक कार्यक्रम किया और इसमें उमर खालिद, शरजील इमाम के अलावा यलगार परिषद के गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और आनंद तेलतुंबडे जैसे लोगों के पोस्टर बैनर नजर आया है। यह कार्यक्रम टिकरी बॉर्डर से कुछ ही दूरी पर आयोजित किया था।
लोग पूछ रहे हैं सवाल
ट्वीटर पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियो को शेयर कर लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर किसान आंदोलन में इन लोगों की रिहाई की मांग क्यों उठ रही हैं और गंभीर आरोपों में जेल में बंद इन लोगों का किसानों से क्या लेना देना है, क्या ये भी किसान हैं? बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘उमर खालिद और शरजील इमाम कबसे किसान हो गए? हम किसानों से तो बात करेंगे लेकिन उमर और शरजील भारत विरोधी मानसिकता को दर्शाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सही जगह जेल ही है।’
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘IB ऑफिसर अंकित शर्मा के हत्यारों और छतीसगढ़ में 112 CRPF जवानों के हत्यारों की रिहाई की मांग। किसान आंदोलन के नाम पर हत्यारों, आतंकवादियों और बलात्कारियों को जेल से रिहा करने के लिए प्रदर्शन।’
लोग बोले- अब कार्रवाई करने का समय
रेनुका राजपूत नाम की एक ट्वीटर यूजर ने लिखा, ‘अब यह सख्त कार्रवाई करने का समय है, है ना? यह अब किसानों का आंदोलन नहीं रहा बल्कि मेहनतकश किसानों के भेष में भारत विरोधी ताकतों का जमावड़ा है। यह नाटक शरजील इमाम, उमर खालिद, गौतम नवलखा, वरवरा राव आदि के लिए हो रहा है।’
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने टिकरी बॉर्डर पर शरजील इमाम के पोस्टर का मसला उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि एमएसपी, एएमपीसी और अन्य मुद्दे किसानों से संबंधित हैं, लेकिन ये पोस्टर किसान का मुद्दा कैसे हो सकते हैं. यह खतरनाक है और यूनियनों को इससे खुद को दूर रखना चाहिए. यह सिर्फ मुद्दों को हटाने और विचलित करने के लिए है.
क्या है पूरा विवाद
दरअसल, किसान आंदोलन के बीच गुरुवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन किया गया. इस दौरान किसानों के मंच पर एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव समेत अन्य लोगों की रिहाई की मांग की गई थी.
आरोप लगाया गया है कि इन सभी को झूठे केसों में अंदर डाला गया है, ऐसे में सरकार को इन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए. हालांकि, अन्य किसान नेताओं ने इस पोस्टर की जानकारी होने से इनकार किया. वहीं, भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के नेता झंडा सिंह का कहना है कि ये सिर्फ हमारे संगठन की ओर से पोस्टर लगाए गए थे. ये सभी बुद्धिजीवी हैं और हमारी मांग है कि जिन बुद्धिजीवियों को जेल में डाला गया है, उन्हें रिहा किया जाए.
गिरफ्तार बुद्धिजीवियों आदि की रिहाई की मांग पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आंदोलन को टेकओवर करने का ये एक भयावह डिजाइन है. इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग एजेंडे को टेकओवर करने की कोशिश कर रहे हैं.
कानून मंत्री ने आगे कहा कि वे लोग न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं. उनकी जमानत खारिज की जा रही है क्योंकि उन पर गंभीर आरोप हैं. उन्होंने यह भी कहा कि किसान संगठनों के विरोध का फायदा उठाने के लिए उनकी तस्वीरें प्रदर्शित की जा रही हैं. शायद ऐसे तत्वों की उपस्थिति के कारण ही सरकार के साथ बातचीत सफल नहीं हो रही है.