पटना के सचिवालय स्थित तालाब में बर्ड सैंक्चुरी बनकर तैयार है। इसमें देश-विदेश के पक्षियों का आना शुरू हो गया है। पक्षियों के मधुर कलरव से यहां का वातावरण गूंज रहा है। पानी में अठखेलियां करते हुए रंग-बिरंगे पक्षी मन को मोह रहे हैं। पक्षियों को देखना काफी सुकुनदायक है। 7 एकड़ में फैली इस बर्ड सैंक्चुरी को राजधानी जलाशय का नाम दिया गया है। यह 4 जनवरी से आम लोगों के लिए खुल जाएगा।
बर्ड सैंक्चुरी में इन पक्षियों को देख सकते हैं
इस जलाशय में गेडवॉल, नॉर्दर्न शोवलर, लेसर व्हिसिलिंग डक, कॉम्ब डक, लालसर, मूरहेन, कॉरमोरंट और पिनटेल जैसे पक्षी देखे जा रहे हैं। तालाब के चारों ओर पेड़-पौधे लगाकर जंगल जैसा नजारा बनाया गया है। इसमें 73 प्रजाति के पेड़-पौधे लगाए गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि प्रवासी पक्षी आकर्षित हो सकें और यहां अपना डेरा जमा सकें। तालाब और उसके आसपास के क्षेत्र का अभी और सौंदर्यीकरण करवाया जाना है। फिलहाल दिसंबर खत्म होने वाला है और इस तालाब में पक्षियों की भरमार दिख रही है।
CM काफी देर तक पक्षियों को निहारते रहे
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को इस तालाब का निरीक्षण किया। वह काफी देर तक पक्षियों को निहारते रहे। दूरबीन से भी पक्षियों को देखा। उन्होंने कहा कि इस बात की बहुत खुशी है कि इस तालाब में पक्षी आ रहे हैं। पहले इसमें सिर्फ मछली पालन होता था। लेकिन, अब पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इसे विकसित किया गया है।
स्कूली बच्चे प्रकृति का साक्षात दर्शन कर सकेंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खासकर स्कूली बच्चों के लिए है। यहां आकर उनका ज्ञान बढ़ेगा। पर्यावरण के बारे में जान सकेंगे। 4 जनवरी से स्कूल खुल रहे हैं। 20-20 के ग्रुप में स्कूली बच्चों को यहां लाया जाएगा। सीएम ने कहा कि नई पीढ़ी को प्रकृति के बारे में एहसास होना चाहिए। किताबों में तो वह प्रकृति के बारे में पढ़ते ही हैं, यहां आकर उसका साक्षात दर्शन कर सकेंगे। इसलिए हम चाहते हैं कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को यहां बुलाया जाए ताकि, उनकी रुचि इन सब चीजों में बढ़े।

क्या कहते हैं पक्षी विशेषज्ञ
प्रख्यात पक्षी विशेषज्ञ नवीन कुमार बताते हैं कि राजधानी जलाशय में गेडवॉल और नॉर्दर्न शोवलर जैसे दुर्लभ पक्षियों को देखना अचरज भरा है। उन्होंने बताया कि यहां लालसर जैसे दुर्लभ पक्षी भी हैं। ऐसा पहली बार देखा गया है कि जो प्रवासी पक्षी दिसंबर में गर्म प्रदेशों में आते थे, वे अब नवंबर में आने लगे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि इन पक्षियों के मूल प्रदेशों में जबरदस्त बर्फबारी हुई है। वहां भोजन की किल्लत होने की वजह से ये पक्षी यहां आए हैं।