अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पहली बार मकर संक्रांति के अवसर पर रामलला को खिचड़ी का भोग लगाया गया. खिचड़ी के साथ घी, दही, पापड़ और अचार भी इस भोग में शामिल था. वहीं, रामलला के साथ-साथ अयोध्या के सभी मंदिरों में भी खिचड़ी का भोग लगाया गया.
विधि विधान से रामलला की पूजा की गई
मकर संक्रांति के अवसर पर रामलला को पूरे विधि विधान के साथ खिचड़ी भोग लगाया गया. मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. मकर संक्रांति के बाद से ही सारे शुभ काम शुरू हो जाते हैं, इसलिए इस दिन का खासा महत्व है. इस अवसर पर पूरे विधि विधान के साथ सबसे पहले रामलला की पूजा अर्चना की गई और उसके बाद खिचड़ी का भोग लगाया गया. मकर संक्रांति पर खिचड़ी पर्व को कुछ प्रांतों में लोहड़ी के नाम से भी जाना जाता है. इसमें खिचड़ी के साथ दही, पापड़, घी, आचार का भोग लगाया जाता है.
रामलला को लगाया गया भोग
रामलला को इन्हीं के साथ खिचड़ी भोग लगाया गया और अस्थाई मंदिर में पूजा अर्चना के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा गया. राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला को शायद ही इससे पहले इतने विधि विधान से खिचड़ी का भोग लगाया गया हो और खिचड़ी भोग का प्रसाद लोगों को बांटा गया. एक तरफ जहां राम जन्मभूमि परिसर के अस्थाई मंदिर में रामलला को खिचड़ी भोग लगाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ अयोध्या के अलग-अलग प्रतिष्ठित मंदिरों में भी भगवान श्रीराम को विधि-विधान और परंपरागत तरीके से खिचड़ी का भोग लगाया गया.
मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि, आज खिचड़ी का भोग और विधि विधान से पूजा अर्चना होने के बाद भगवान रामलला को खिचड़ी का भोग लगा क्योंकि आज के दिन खिचड़ी का पर्व है. दूसरे प्रांतों में इसे लोहड़ी भी कहते हैं. अन्य प्रांतों में इसको कई नामों से जाना जाता है, लेकिन विशेष रूप से वह खिचड़ी ही है. भगवान राम लला का भोग लगाने के बाद प्रसाद बांटा गया और यह प्रथम बार है अस्थाई मंदिर में रामलला के लिए व्यवस्था की गई और वहीं अस्थाई मंदिर में भोग लगा प्रसाद वितरण किया गया.