बिहार की राजधानी पटना एयरपोर्ट पर तैनात इंडिगो के स्टेशन मैनेजर रूपेश सिंह हत्याकांड में पुलिस को कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। सूत्रों के अनुसार सीसीटीवी कैमरे में मिले फुटेज के अनुसार अपराधियों ने एयरपोर्ट से ही रूपेश का पीछा करना शुरू कर दिया था। पूरे रास्ते अपराधी मौके की तलाश में थे। लेकिन रास्ता व्यस्त रहने से शूटरों ने हमला नहीं किया। इसके बाद जैसे ही रूपेश ने अपनी गाड़ी गली की ओर घुमायी, अपराधी सक्रिय हो गये। फिर गाड़ी के अपार्टमेंट के सामने रुकते ही शूटरों ने गोलियां दागनी शुरू कर दीं। यह फुटेज पुलिस टीम के लिये तुरुप का पत्ता साबित हुआ है।
इसके अलावा टेक्निकल सर्विलांस के अन्य तरीकों से भी एसटीएफ और पटना पुलिस की टीम जांच में जुटी हुई है। जिस तरीके से इस वारदात को अंजाम दिया गया है, उससे यह साफ है कि शूटर बेहद प्रोफेशनल थे। अपराधियों को यह पता था कि रूपेश कितने बजे एयरपोर्ट से निकलेंगे। सूत्र बताते हैं कि एयरपोर्ट के पास लगे कई कैमरों को पटना पुलिस की टीम ने खंगाला है। वहां से मिले फुटेज से भी अहम सुराग हाथ लगे हैं।
बाइक सवार ने किया था ओवरटेक
पुलिस को रूपेश के कुसुम विलास अपार्टमेंट के आसपास लगे एक कैमरे से सात बजकर एक मिनट का फुटेज हाथ लगा है। उसमें एक बाइक पर सवार दो युवक गाड़ी को ओवरटेक कर आगे बढ़ते दिखे हैं। पुलिस को आशंका है कि यही दोनों अपराधी थे। अपराधियों ने पहले से ही रूपेश के घर के रास्ते की भी रेकी की थी। उन्हें पता था कि घटना को अंजाम देने के बाद किस ओर से फरार होना है।
ठेकेदारी कनेक्शन की हो रही पड़ताल
रूपेश के भाई सरकारी महकमे की ठेकेदारी करते थे। इस पहलू की भी छानबीन की जा रही है। पुलिस सूत्रों की मानें तो छपरा में भी रूपेश के भाई की ठेकेदारी चलती थी। इसी कारण एक टीम को छपरा भेजा गया है।
रूपेश का मोबाइल नंबर भी खंगाल रही पुलिस
रूपेश के मोबाइल नंबर को भी पुलिस खंगाल रही है। वे किससे अधिक बात करते थे। घटना से ठीक पहले रूपेश ने किन लोगों से बातचीत की थी। किनसे वे ज्यादा संपर्क में रहते थे। इन सारी बातों का खुलासा उनके मोबाइल नंबर से होगा। केस का आईओ शास्त्रीनगर के थानेदार रामशंकर सिंह को बनाया गया है।
खुश रखने की कला जानते थे
माना जाए तो एविएशन सेक्टर में एयरपोर्ट स्टेशन मैनेजर की भूमिका बेहद सीमित होती है। स्टेशन मैनेजर अपनी कंपनी की सेवाओं तक की खुद को सीमित रखता है लेकिन रुपेश के साथ ऐसा नहीं था। इंडिगो के साथ-साथ अन्य विमान कंपनियों से आने वाले यात्री भी रुपेश के टच में रहा करते थे। पटना एयरपोर्ट से सफर करने वाले राजनेता, ब्यूरोक्रेट, सेलिब्रिटी और हाईप्रोफाइल लोग रुपेश के संपर्क में रहे। उन्हें जब भी जरूरत पड़ी बेहिचक रूपेश को फोन मिलाया और रुपेश का कद भी इतना बड़ा हो चुका था कि वीवीआईपी भी एक रिंग पर उनका फोन उठाते थे।
सत्ता पक्ष हो या विपक्ष हर दल के राजनेता से रूपेश की नज़दीकियां थीं। ऐसे में उनकी हत्या के बाद यह सवाल भी चर्चा का विषय है कि आखिर रूपेश ऐसी कौन सी ‘कला’ जानते थे जिसकी वजह से उन्होंने सबको खुश रखा। रुपेश बेहद मिलनसार थे लेकिन अपनी कंपनी को लेकर उनकी सीमाएं थीं। इसके बावजूद उन्होंने वीवीआईपी लोगों से व्यक्तिगत संबंध बनाए। पुलिस की जांच में यह भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।
राजनीति में आने की महत्वाकांक्षा
बड़े लोगों की सोहबत में रहना रूपेश को पसंद था। नए लोगों से कांटेक्ट बनाना उनकी हॉबी थी। पटना की जमीन पर हवाई सफर कर जिस वीआईपी ने कदम रखा रुपेश उनके संपर्क में आए। उनके सोशल मीडिया अकाउंट से भी इस बात का अंदाजा लगता है कि रूपेश को बड़े चेहरों के साथ रहने में कितना मजा आता था और यही वजह थी कि रूपेश हाई प्रोफाइल सर्किल में अपनी साख मिटाने के लिए दिन रात उपलब्ध रहते थे। दोस्तों के लिए आधी रात के वक्त भी हर मुसीबत का हल निकालना रुपेश के जीवन का हिस्सा बन चुका था।
पटना के हाई प्रोफाइल जोन में पकड़ बनाने के साथ-साथ रूपेश अपने गृह जिले और गांव में भी सक्रिय थे। सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेना मुश्किल घड़ी में गांव के लोगों के बीच मदद पहुंचाना भी रूपेश जानते थे। उनके जिले से जुड़े लोगों का मानना है कि रुपए भविष्य में राजनीति का रुख करने वाले थे। सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाले रूपेश मढ़ौरा चुनाव लड़ना चाहते थे और यही वजह थी कि जब भी मौका मिलता था वह अपने गांव और छपरा के आसपास के गांव में सामाजिक कार्यों में शामिल होते थे। रूपेश विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्होंने राजनीति में एंट्री का वक्त अभी तय नहीं किया था।
पिछले दिनों नीतीश कुमार एक करीबी की बेटी की शादी में भी रूपेश शामिल हुए थे. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। केंद्रीय मंत्री से लेकर बॉलीवुड इंडस्ट्री के बड़े चेहरे भी एक रिंग होने पर रूपेश का फोन पिक करते थे. मनोज बाजपेई, मनोज तिवारी, रवि किशन, पंकज त्रिपाठी, मनीषा कोइराला जैसे सेलिब्रिटी से रुपेश सीधे संपर्क में रहा करते थे. बिहार के कई बड़े अधिकारियों के लिए भी रूपेश बेहद खास थे यही वजह है कि उनकी मौत के बाद राजनीतिक गलियारे से लेकर ब्यूरोक्रेसी कॉर्नर में भी लगातार लोग इस मर्डर केस के बारे में अपडेट ले रहे हैं. रुपेश अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उन्होंने जितने कम वक्त में अपनी पहचान बनाई और वह जिस तरह सब के बीच लोकप्रिय हुए यह बताता है कि व्यक्तिगत जीवन में उनकी महत्वाकांक्षा बड़ी थी.