मसौढ़ी के प्रखंड कृषि पदाधिकारी अजय कुमार की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। उनकी लाश को ठिकाने लगाने के लिए नदी किनारे जमीन के अंदर गाड़ दिया गया। परिवार से लेकर दो थानों की पुलिस उनकी खोज में जुटी रही। रविवार को उनकी लाश गौरीचक थाना के तहत साहेब नगर से बरामद भी कर ली गई। पुलिस ने हत्या करने वाले गोलू को भी गिरफ्तार कर लिया। हत्या के पीछे की वजह साढ़े सात लाख रुपया का विवाद बताया जा रहा था, लेकिन इन सब के बीच पुलिस की जांच में ही एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अजय कुमार की हत्या के पीछे की मुख्य वजह कमिशन का खेल बताया जा रहा है।
कृषि पदाधिकारी से अक्सर मिलता था गोलू
दरअसल, गौरीचक के लखना गांव के रहने वाले गोलू के पिता खाद और बीज के डीलर हैं। मगर, इनके हर काम को बेटा गोलू ही मैनेज करता था। इस कारण उसका अक्सर कृषि पदाधिकारी के साथ मिलना-जुलना होता था। कई बार वो पटना में दक्षिणी पोस्टल पार्क के बुध नगर के गली नंबर 2 में स्थित अजय कुमार के किराए वाले घर पर भी जा चुका है। परिवार के हर सदस्य से भी वो वाकिफ था। कमिशन के खेल में वो कृषि पदाधिकारी के नब्ज को पकड़ चुका था।
इस तरह से चलता है कमिशन का खेल
किसानों के लिए कई प्रकार की योजनाएं सरकार की तरफ से चलाई जाती है। इसमें सरकारी अनुदान के तहत किसानों को बीज भी उपलब्ध कराई जाती है। ऐसे में खाद और बीज के डीलरों की तरफ से कई प्रकार के खेल रचे जाते हैं।
- सरकारी योजनाओं का कंट्रोल ब्लॉक स्तर पर कृषि पदाधिकारी के हाथ में होता है। कमिशन के चक्कर में कई बार दोनों तरफ से मिलजुल कर किसानों की फर्जी लिस्ट भी तैयार कर दी जाती है। बीज वितरण के लिए डीलर सब कुछ सेट करता है। कमिशन के खेल का यह पहला तरीका होता है।
- दूसरा तरीका खराब बीज की सप्लाई करके होती है। अच्छे क्वालिटी वाले बीज को ऊंचे दाम पर बाहर में बेच दिया जाता है, जबकि खराब बीज को सरकारी अनुदान के नाम पर किसानों में बांट दिया जाता है।
- तीसरा तरीका लाइसेंस बनवाने के नाम पर होता है। खाद-बीज के डीलर को प्रिंसिपल सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। इसमें भी घालमेल कर कमिशन का खेल चलता है। इन सब में अजय कुमार के साथ डीलर के बेटे ने किस तरह का खेल खेला, यह पटना पुलिस के आगे की जांच में स्पष्ट हो पाएगा।