राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता सह विधायक डाॅ0 रामानुज प्रसाद एवं राजद
प्रदेश महासचिव भाई अरूण कुमार ने पिछले दिनों विधान सभा में बिहार
शस्त्र पुलिस बल अधिनियम 2021 जो प्रस्तुत किया गया है वह राज्य में
पुलिसिया राज्य कायम करने के दिशा में उठाया गया एक और कदम है। बिहार की
सरकार इसके पहले भी कई ऐसे कदम उठाए हैं जिससे लोकतंत्र खतरे में आ गया
है। सरकार ने कुछ दिन पहले एक ऐसा आदेश पारित किया था जिससे कि अगर युवा
सड़क पर अपनी समस्याओं को लेकर उतरते हैं तो उनपर केस दर्ज होगा, उन्हें
नौकरी नहीं मिलेगी, उन्हें ठेकेदारी नहीं मिलेगी, उन्हें किसी प्रकार का
सरकारी सहायता नहीं मिलेगी, वहीं कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार ने लोकायुक्त
संशोधन बिल के जरिये यह कह दिया कि अगर कोई लोकायुक्त के यहां कम्पलेन
किया और गलत साबित हुआ तो उन्हें तीन साल की सजा होगी, इससे सरकारी
अफसरों के खिलाफ आवेदन लिखने वाले को रोका जा रहा है। वही स्थिति शस्त्र
सुरक्षा बल अधिनियम 2021 को पारित होने के बात न्यायालय का न्यायिक पावर
घट जाएगा और बिना वरेंट सर्च वारेंट के लोगों को हिरासत में पुलिस ले कर
जेल भेज सकती है। इस नियम का दुरूपयोग सत्ता के लोग अपनी नाकामियों एवं
अपनी गलतियों को छुपाने में करेंगे। यह बिल पास होने के बाद खासकर सभी
वर्ग के गरीबों, दलितों, पिछड़ों पर जो पहले से पुलिसिया आतंक से परेशान
हैं वह और बढ़ जाएगा। अपने आपको लोहियावादी, जे0पी0 के चेले एवं कर्पूरी
जी के शिष्य कहने वाले नीतीश कुमार आज क्यों इतना घबरा गए हैं कि वे
बिहार में ऐसे-ऐसे काले कानून ला रहे हैं जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों की
रक्षा अब संभव नहीं लग रही है। बिहार की जनता को अपने अधिकारों के लिए
आन्दोलन का रास्ता बतलाने वाले जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की आत्मा आज जरूर
कराह रही होगी क्योंकि उनके आन्दोलन से उपजे नीतीश कुमार से ऐसे कानूनों
को थोपने की उम्मीद बिहार की जनता को नहीं थी।
इन नेताओं ने राज्य सरकार से मांग किया है कि सभी काले कानून जिसमें
बिहार सशस्त्र पुलिस अधिनियम 2021 सहित को अविलंब वापस लें और अपने आपको
लोकतंत्र का हत्यारा कहलाने से बचें नहीं तो आने वाली पीढ़िया आपको माफ
नहीं करेगी।