महाराष्ट्र के नांदेड़ में होला मोहल्ला उत्सव के दौरान हुई हिंसा के चलते यह कार्यक्रम काफी चर्चा में है। असल में सिखों धर्म के अनुयायियों में होला मोहल्ला कार्यक्रम का खास महत्व है। आमतौर पर देश-दुनिया में सिख धर्म के लोग इसे होली के एक दिन बाद से मनाते हैं लेकिन कई बार यह होली से ही शुरू हो जाता है। सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने इस मेले की शुरुआत की थी। सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब में होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है। छह दिन के इस भव्य मेले में विशाल लंगर का आयोजन किया जाता है।
देश में कई जगह होला मोहल्ला कार्यक्रम के दौरान पंज पियारे विशाल जुलूस का नेतृत्व करते हुए रंगों की बरसात करते हैं। वह हाथ में निशान साहब उठाए नंगी तलवारों से करतब दिखते हुए ‘जो बोले सो निहाल’ के नारे लगाते हैं। वह बिना किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचाए युद्ध, बहादुरी और वीरता के जौहर दिखाते हैं जिसे देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटते हैं। इसके अलावा गुरुदावारों में जगह-जगह कीर्तन होते हैं। जुलूस में लोगों पर फूलों और इत्र की बरसात की जाती है।
क्या हुआ नांदेड़ में
महाराष्ट्र के नांदेड़ में कोरोना वायरस महामारी के कारण जुलूस निकाले की इजाजत नहीं देने के बाद तलवारों से लैस सिखों की भीड़ ने सोमवार को पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया जिसमें कम से कम चार पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। एक वायरल वीडियो में दिख रहा है कि तलवारें लिये लोगों की भीड़ गुरुद्वारे से बाहर निकली और पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड तोड़ दिए तथा पुलिसकर्मियों पर हमला किया। इस हिंसा में कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए। पुलिस ने कहा, ”महामारी के चलते होला मोहल्ला का जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी गई। गुरुद्वारा कमेटी को सूचित कर दिया गया था और उन्होंने हमें आश्वस्त किया था कि वे हमारे निर्देशों का पालन करेंगे और कार्यक्रम गुरुद्वारे परिसर के अंदर करेंगे। हालांकि जब निशान साहिब को शाम 4 बजे द्वार पर लाया गया तो कई लोगों ने बहस शुरू कर दी और 300 से अधिक युवा दरवाजे से बाहर आ गए, बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिसकर्मी पर हमला करना शुरू कर दिया।”