मुम्बई सहित कई राज्यों में सख्ती के साथ बिहार में स्कूल-कॉलेज बंद होने की खबर के बाद दोबारा लॉक डाउन के डर बिहार लौटने लगे हैं प्रवासी। बोरे में कपड़े, झोले में जरूरत के सारे सामान और चेहरे पर हताशा लिये मुंबई में मजदूरी करने वाले विजय कुमार पूरे परिवार के साथ बस स्टैंड पहुंचे हैं। शाम के छह बज रहे हैं। उन्हें सीतामढ़ी जाना है। विजय कुमार बताते हैं कि वह मुंबई से सटे ठाणे में राजमिस्त्री का काम करते हैं। तीन बच्चों और पत्नी के साथ थाने में रह रहे थे। पिछले साल लॉक डाउन खत्म होने के बाद नवम्बर में मुंबई लौट गये थे। सोचा था कि अब जिन्दगी पटरी पर लौट आएगी। लेकिन जैसे ही होली का समय आया, दोबारा कोरोना संक्रमण की लहर से वे सहम गये।
उनके साथ मुजफ्फरपुर के ही लगभग चार परिवार और बस स्टैंड पहुंचे थे। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। राजधानी के मीठापुर बस स्टैंड में बाहर से आने वाले यात्रियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। शाम होने के बावजूद कई लोग निजी वाहन बुक करके घर को जाते दिख रहे हैं। इसके बावजूद बस स्टैंड में कोरोना से लड़ने का कोई इंतजाम नहीं दिख रहा है। न तो कोई स्क्रीनिंग की व्यवस्था है और न मास्क चेक करने की।
लॉकडाउन के डर से कर्ज लेकर गुड़गाँव से पूर्णिया पहुंचे अजय
गुड़गाँव के एक निजी कंपनी में काम करने वाले अजय भी सोमवार को ट्रेन से पटना पहुंचे। पूर्णिया जाने के लिए वह बस स्टैंड आए हुए थे। अजय ने बताया कि अभी तो जिन्दगी ने रफ्तार पकड़नी शुरू की थी, फिर से कोरोना डराने लगा है। लॉकडाउन के डर से परिवार वालों ने घर लौटने को कहा। उनके पास घर लौटने को पैसे भी नहीं थे। मजबूरी में दोस्तों से कर्ज लेकर ट्रेन पकड़े। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले वैभव भी घर लौट गये हैं। उन्हें मोतिहारी जाना है।